हवस नहीं देखती उम्र, पहनावा, रंग, रूप वह सिर्फ नोचना जानती है शरीर को उसे नहीं सुनाई देती चीख, पुकार, अनुरोध, दुहाई कुचलना जानती है अरमानों को वह परिचित नहीं है अंजाम से वह चाहती है उन्माद को विसर्जित करना नहीं देखती हवस उन्माद से कितनी जिंदगियां रुंधी हैं