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Tuesday, January 26, 2010

गणतंत्र दिवस


गणतंत्र दिवस के अवसर पर बहार निकलने का मौका मलिया सब कुछ सूना सूना सा नज़र आ रहा था सडकें सुनी गलियां सुनी हर तरफ पुलिस की रेकॉर्डेड चेतावनियाँ sunaaei  दे रही थी मेरे उठाने से पहले ही राष्ट्रपति  का भाषण एवं परेड सब कुछ ख़त्म हो चुका था समाचारों में पढ़ा कोहरा नहीं ढक पाया गणतंत्रता दिवस के जोश को लेकिन तस्वीरें कोहरे से जरुर धुंधली नज़र आ रही थी सच बताऊँ तो जोश असल में गणतंत्रता दिवस का रहा भी नहीं क्योंकि मैंने जिन्हें भी गणतंत्रता की बधाईइ भेजी उनमे से एक दो का ही प्रतिउत्तर मिला दूसरा manhgaaei  इतनी हो गयी है की त्यौहार की तरह मना ही नहीं सकते मीठा खाना मिर्चों से भी तीखा लगता है roji roti की fikr में  परेड dekhna sabke naseeb का भी नहीं hota fir aarthik mandi से itnaa bhayavah mahaul banaa huaa है sarkaar हो ya neeji parivaar हर तरफ band है rojgaar kahne को तो kah dete hain ham पर mandi का asar नहीं लेकिन andar की baat ye है asar में koi kasar भी नहीं khair ab gantantrta दिवस selebrate तो karnaa था kaise karein samjh नहीं pa रहा koi desh bhagti film dekhi jaye ya bar में masti की jaye, लेकिन in sabse sona uchit lagaa क्योंकि aaj हर koi so रहा है sona aaraam की नहीं mukti का sadhan नज़र aata है bekhabar हो kar karvatein badalte rahna kanhi behtar लगता है samaaj को karaahate hue dekhane से.

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