ब्लॉगवार्ता

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Saturday, February 28, 2015

कामरेड अविजित

अविजित रॉय के लिए..... जो बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का शिकार हुए...

कामरेड अविजित
आज से पहले मैं तुम्हारे बारे में नहीं जानता था
तुम्हारी पत्नी के हाथों में सिमटा
खून से सना तुम्हारा शरीर देखकर
ऐसा लग रहा है
बांग्लादेश की धरती को सींचेगा
ये खून
खुरदरी और बंजर होती जमीन करेगा तैयार
पैदा होंगे इसी खून से
लाल लाल लहराते झंडे
तुम्हारे शरीर के हर टुकड़े से पैदा होगा एक नारा
तुम पर किये हर वार के खिलाफ
खड़ा होगा आंदोलन
सच तो ये है कि
वे तुम्हारी हत्या नहीं कर पाएंगे
हर हमले के साथ तुम
जी उठोगे और
हमेशा बने रहोगे अविजित


----------- जगदीप सिंह

Friday, February 27, 2015

ओवर टेक

भीड़ भड़ाके के इस शहर में
जब गाड़ी पर गाड़ी और बंदे पर बंदा
चढने को है
जहां कानों के पास झूंऊऊऊऊ की आवाज छोड़
कर जाता है कोई
ओवर टेक
बेशक आप की तेज होती धड़कनें
सिर्फ आप ही सुन सकते हैं
अपने चेहरे के उड़े हुए सफेद रंग को
जहां सिर्फ आप ही देख सकते हैं
ऐसे में एक लंबी सांस लेकर
सहन करना सीख लें सब
ओवर टेक नियती बन गए हैं
सड़क से होकर दफ्तरों तक पंहुच गए हैं
ओवर टेक
दुर्घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है







ओ.... कवि



ओ.... कवि
मेरे हिस्से की रोटी लिखो
अब चांद को रोटी कहने से पेट नहीं भरता
बादलों का राग मुझ तक नहीं पंहुचा
हवा में झूमते पेड़-पौधे
कलकल कर बहती नदियां, झरनें
बागों में कूकती कोयलें
चुभती हैं कानों को
फटे गलों से नसों को खींचती हुई
निकलने वाली नारों की गूंज से ही
हमें तसल्ली मिलती है
फूलों की खूशबू नहीं
चिलचिलाती धूप में बहते पसीने की बू
भाती हैं हमें
प्रतीक और बिंब की भाषा
बहुत देर से समझ आती है
आंदोलन का गान लिखो कवि
संघर्षों के अधिग्रहण
शब्दों के अध्यादेश
बहुत हो चुके
मेरी खातिर जो कहना चाहते हो
साफ साफ कहो कवि


Monday, February 16, 2015

महोब्बत के गुनहगार

आज महोब्बत के हम गुनहगार हुए
जो कहते थे अपनी जान बेजार हुए

अपने दिल में बसाया था हमने उन्हें
और वो समझे कंधो पर सवार हुए

दो कदम ही तो साथ चले थे हम
और उन्हें लगा वो हम पर भार हुए

मालूम ना था उलफ़त जलील करती है
बस इस बात पर गीले रुख्सार हुए

Friday, February 6, 2015

सत्यार्थी तुमने ठीक नहीं किया










सत्यार्थी तुम ठीक नहीं किया
एक पाकिस्तानी को बेटी बनाकर
तुम प्यार का रिश्ता बनाना चाहते हो
हमारी नफरत की जड़ें तो हमेशा से जमीं हैं
यकीन नहीं तो
हमारा इतिहास उठाकर देख लो
हम एसी हर पहल के खिलाफ खड़े मिलेंगे
जो जोड़ती हो
हम जब भी जहां भी सत्ता में रहे
नफरत की बिसात बिछा
खाइयां गहरी की हैं
और तुम हो कि पूरी दुनिया को
खाइयां पाटने का संदेश दे रहे हो
देखो सत्यार्थी
पाकिस्तान से भी संदेश मिला है
उन्हें भी मलाल है
मलाला को ना मार पाने का
और सुनो
मंदिर मस्जिद गिरजाघरों को भी मत घसीटो
अपनी राह पर
वे शोषण से मुक्ति नहीं
शोषण सहने की शक्ति देते हैं
सुना है तुम्हारे इसाइयों से ठीक ठाक संबध है
मैं बस तुम्हें इतना कहता हूं
एक बार कंधमाल को याद जरुर करना
ये क्या कह रहे हो सत्यार्थी
ईश्वर मुझे माफ करे
मैं नहीं जानता मैं क्या कर रहा हूं


घर वापसी

आओ हमारे भूले भटको
घर वापस आओ
ईसाइयों ने तुम्हें रोटी दी कपड़ा दिया शिक्षा दी
लेकिन तुम्हारा भगवान छीन लिया
लालच देकर थमा दी तुम्हारे हाथों में मोमबत्तियां
तुम्हें चर्च में प्रार्थना करते देख
हमें बहुत याद आते हो तुम
कैसे तुम
मंदिरों के बाहर से ही नजरों को झुकाए
खड़े खड़े झूका लेते थे शीष
हमारे भगवान का आशीर्वाद पाने को
अब हम किसे मंदिरों में जाने से रोकें
तुम वापस आ जाओ बस
और हां जो
मस्जिदों में जाने लगे उन्हें भी वापस बुला लाना
कहना मदरसों में तो आतंकी कैंप चल रहे हैं
देखो इनके मौलवी फतवे जारी कर रहे हैं
यहां भी तुम रहे तो दलित ही
ब्राह्मण तो नहीं हुए
अशरफ अजलफ
सिया सुन्नी का झगड़ा यहां भी तो है
आ जाओ घर वापस
हमारी वर्ण व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरुरी है
तुम्हारी घर वापसी
देखो बड़ी मुश्किल से सालों बाद
हमारे अच्छे दिन आए हैं
घर वापस आ जाओ भूले भटको

सुबह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

मैं कौन


मैं कौन हूं 
तुम 
तुम हिन्दू नहीं हो
वो तो आरएसएस वाले होते हैं
हिंदू परिषद और महासभा वाले होते हैं
शिव की सेना है... बजरंग के दल काफी हैं
हिंदू होने के लिए
अरे हिंदू होने के लिए दयालु नहीं 
कट्टर होना पड़ता है 
मुस्लमानों का विरोध करना पड़ता है
पाकिस्तान की मां बहन करनी होती है
ईसाइयों के स्कूल.... चर्च... फूंकने पड़ते हैं
चुनावों के पास कुछ दंगे भी जरुरी हो जाते हैं
एक हिंदू के लिए 
और हां सबसे जरुरी और अहम बात
घर वापसी के अभियान हिंदू को ही छेड़ने पड़ेंगे
क्योंकि युवाओं की इस जवान पीढी के देखते देखते
हिंदू 
मुस्लमान और इसाइयत को 
खत्म कर ही दम लेगा
फिर तुम पढ पाओगे हमारा गौरवपूर्ण इतिहास
लेकिन तुम 
तुम तो घर वापसी के लायक ही नहीं हो 
तुम मुस्लमान नहीं हो
होते तो तुम्हारा कुछ हो सकता था
हम तुम्हें स्नान करवाते पवित्र जल से
और तुम घर वापस आ जाते
लेकिन तुम तो इसाई भी नहीं हो
जो कह सकते कि तुम लूट लिया गया 
हमारा माल हो
तुम्हारी चोरी तो हुई ही नहीं 
बौध.... सिख्ख.... कुछ भी तो नहीं तुम 
क्या कहा इंसान
नहीं तुम इंसान भी नहीं लगते 
तुम्हारे गले में एक नहीं है
अल्लाह गॉड राम रहीम
की कोई निशानी भी नहीं फिर 
इंसान कहां से हो गए
अरे आम आदमी कह लो
एसे कैसे कह लें
ना सर पे टोपी ना टोपी पे झाड़ू
और हां तुम 
दिखने में श्रद्धावान दिखते हो
नास्तिकता के लक्षण भी नहीं दिखते तुममें
किसी परमसत्ता में गहरी आस्था लगती है तुम्हारी
ना लाल झंडा है ना ही दांती हथौड़ा
ना मार्क्स और लेनिन से कोई वास्ता
तुम जरुर जैनेंद्र के निबंध के पात्र हो 
जो मुझसे मगजमारी करने चले आए
जाओ यहां तुम्हारी कोई जगह नहीं....

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