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Friday, February 6, 2015

मैं कौन


मैं कौन हूं 
तुम 
तुम हिन्दू नहीं हो
वो तो आरएसएस वाले होते हैं
हिंदू परिषद और महासभा वाले होते हैं
शिव की सेना है... बजरंग के दल काफी हैं
हिंदू होने के लिए
अरे हिंदू होने के लिए दयालु नहीं 
कट्टर होना पड़ता है 
मुस्लमानों का विरोध करना पड़ता है
पाकिस्तान की मां बहन करनी होती है
ईसाइयों के स्कूल.... चर्च... फूंकने पड़ते हैं
चुनावों के पास कुछ दंगे भी जरुरी हो जाते हैं
एक हिंदू के लिए 
और हां सबसे जरुरी और अहम बात
घर वापसी के अभियान हिंदू को ही छेड़ने पड़ेंगे
क्योंकि युवाओं की इस जवान पीढी के देखते देखते
हिंदू 
मुस्लमान और इसाइयत को 
खत्म कर ही दम लेगा
फिर तुम पढ पाओगे हमारा गौरवपूर्ण इतिहास
लेकिन तुम 
तुम तो घर वापसी के लायक ही नहीं हो 
तुम मुस्लमान नहीं हो
होते तो तुम्हारा कुछ हो सकता था
हम तुम्हें स्नान करवाते पवित्र जल से
और तुम घर वापस आ जाते
लेकिन तुम तो इसाई भी नहीं हो
जो कह सकते कि तुम लूट लिया गया 
हमारा माल हो
तुम्हारी चोरी तो हुई ही नहीं 
बौध.... सिख्ख.... कुछ भी तो नहीं तुम 
क्या कहा इंसान
नहीं तुम इंसान भी नहीं लगते 
तुम्हारे गले में एक नहीं है
अल्लाह गॉड राम रहीम
की कोई निशानी भी नहीं फिर 
इंसान कहां से हो गए
अरे आम आदमी कह लो
एसे कैसे कह लें
ना सर पे टोपी ना टोपी पे झाड़ू
और हां तुम 
दिखने में श्रद्धावान दिखते हो
नास्तिकता के लक्षण भी नहीं दिखते तुममें
किसी परमसत्ता में गहरी आस्था लगती है तुम्हारी
ना लाल झंडा है ना ही दांती हथौड़ा
ना मार्क्स और लेनिन से कोई वास्ता
तुम जरुर जैनेंद्र के निबंध के पात्र हो 
जो मुझसे मगजमारी करने चले आए
जाओ यहां तुम्हारी कोई जगह नहीं....

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