आज महोब्बत के हम गुनहगार हुए
जो कहते थे अपनी जान बेजार हुए
अपने दिल में बसाया था हमने उन्हें
और वो समझे कंधो पर सवार हुए
दो कदम ही तो साथ चले थे हम
और उन्हें लगा वो हम पर भार हुए
मालूम ना था उलफ़त जलील करती है
बस इस बात पर गीले रुख्सार हुए
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