Friday, May 13, 2016
Thursday, May 5, 2016
आओ साथ चलें
चल अपनी आरामगाह से बाहर
निकल आ
कि देख के साथ तुझको बढ़े
उसका हौसला
अगर किसी की हूक तूझे करती
है बेचैन
फिर एक से दो चार सौ होने
में है भला
छला गया है वो भी तुझ सा
परेशान है
कदम बढ़ा कि निकले शोषितों का
काफला
उनकी क्या रीस किजे वे हैं
रईस लोग
ऊंगलियों को कर मुट्ठी फिर
हो मुकाबला
उनके बही खाते में खराब तेरा
है हिसाब
तू भी अपने थैले में कुछ
कलम किताब ला
Subscribe to:
Posts (Atom)