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Sunday, April 12, 2009

राजनीति में न हो खोट, अपना नेता अपना वोट

राजनीति में न हो खोटअपना नेता अपना वोट

चुनावी माहौल  के कारण वातावरण कुछ गर्म होता जा रहा है । जिन्होने पिछले चार साल से शक्ल नहीं दिखाई वे आज गली गली भोंपू लिए घूम रहे हैं। हर बार की तरह लोगो को बेवकूफ बनाने के लिए । नेता लोगों के बीच भी प्रत्यारोप का दौर जारी है कभी मेनका ने विश्वामित्र के सिंहासन को हिलासा था आज पुत्र प्रसिद्धि के लिए माया को हिलाने में लगी है। कमल पर बैठी बेचारी मेंनका को कोई सूंड घूमाता है। जब वे ममता की दुहाई देती हैं तो इमोशनल अत्याचार होता नजर आता है । हालांकि वे अपनी पार्टी के सिद्धांत पर ही चल रही हैं। भजपा का यह पूरा एजेण्डा रहता है कि लोगो का भावनात्मक शोषण किया जाए इसके लिए वे कभी हिन्दू कार्ड तो कभी इसाई व मुस्लिम विरोधी कार्ड का इस्तेमाल करते है । वरुण गांधी ने भी वैसी ही कौशिश की वैसे उनके नाम के साथ गांधी उचित नहीं लगता , लेकिन क्या कर ....................।
इन सारे ड्रामों को देखकर भी मतदाता होश में नहीं आते हर बार की तरह गलती कर बैठते हैं । उन्हे कोई विकल्प नजर नहीं आता तीसरा मोर्चा बनाने वाले अपने आप को उम्मीद की किरण के रुप में विकल्प बताते हैं लेकिन अभी वे जनता के मानदण्डो पर खरा नही उतर पाए हैं। इसके लिए उन्हे परिपक्व होने की आवश्यकता है उसमें से खरपतवार को निकालने की जरुरत है। इसमें जनता भी मतदान को कीटनाशक के रुप में इस्तेमाल कर सकती है। राजनीति से परिवारवाद, भ्रष्टाचार , गुण्डागर्दी आदि को निकालने के लिए जनता को भी राजनीति सीखनी सम-हजयनी पड़ेगी उसे शिक्षित होना पड़ेगा अपने अधिकारों ,कर्तव्यों के बारे में जागरुक होना होगा । नीजि स्वार्थों को त्यागना होगा मेरी जाति का कौन नेता है या मेरे पुत्र पुत्री को कौन नौकरी दिलवा सकता है, शराब कौन दे रहा है या वोट के बदले नोट कौन दे रहा है आदि से मोह भंग करना होगा । वरुण गांधी या राज ठाकरे रातों रात किस प्रकार मशहूर हो जाते है सम-हजयना होगा । उनके कहने मात्र से हउम भड़क जाते हैं हमें सम-हजयना होगा।

                                                                     जगदीप सिंह
                                                      कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र

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