ब्लॉगवार्ता

www.blogvarta.com

Thursday, May 5, 2016

आओ साथ चलें



चल अपनी आरामगाह से बाहर निकल आ
कि देख के साथ तुझको बढ़े उसका हौसला

अगर किसी की हूक तूझे करती है बेचैन
फिर एक से दो चार सौ होने में है भला

छला गया है वो भी तुझ सा परेशान है
कदम बढ़ा कि निकले शोषितों का काफला

उनकी क्या रीस किजे वे हैं रईस लोग
ऊंगलियों को कर मुट्ठी फिर हो मुकाबला

उनके बही खाते में खराब तेरा है हिसाब

तू भी अपने थैले में कुछ कलम किताब ला 

No comments:

साथी

मेरे बारे में