ब्लॉगवार्ता

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Tuesday, February 23, 2016

आग लगी हरियाणे मैं


ले कै नै आरक्षण भाईयो कुणसे झंडे गाड़ दिये
सदियां तै जो बसैं ते सुख तै सबके ढूंड उजाड़ दिये
और कसर के रहगी इब तो छोडो खूंड बजाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


के कसूर था उस विधवा का वा ढाबा अपणा चला री थी
दो छोरी सैं उस पै जिनके ब्याह के सपने सजा री थी
ढाबा उसका फूंक दिया इब ओटै कौण उलाहणे रै 
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


बड़ी मेहनत तै बड़ी मुश्किल तै कारोबार जम्या करै
खड़ी फसल नै कोए फूक ज्या सोचो ज्यब के बण्या करै
इन सदमां तै जो भी मरैगा, पाप चढ़ै स्यर थारे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


कितणे खेड़े नगर चैन के आज धूआंधार पड़े सैं 
माणस कै स्यामी माणस आज जाति नै ठांए खड़े सैं
जात पात मैं बटज्या ज्यब माणस के कसर रह मरज्याणे मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


कल्ले थाम बी दोषी कोनी सरकार भी खड़ी लखावै थी
खट्टर पट्टर की ट्विटर तै अपील शांति की आवै थी
खड़ी-खड़ी देखै थी सेना यें सूने पड़े थे थाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


हजारों करोड़ की संपत्ती कै थमनै आग लगाई
थारी जिद्द मैं सूनी गोद नै देख कै रोवैं माई
नेताओं का के बिगड़ग्या ये न्यूं ए बरड़ाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


महाभारत पाच्छै पांडवां ज्यूं थामै गूठे दे दे रोओगे
थारै लोवै धोरै कोए फटकै नी फेर कितकी नौकरी टोहोगे
जो कंपनी फैक्टरी खड़ी करैं वैं इब पक्के घबराणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं


जगदीप सिंह कह रैथल आला ब्होत दुखी सूं भाई
माणस की बस दो ए जाति आदमी और लुगाई
माणस बणज्यो के लागै थारा भाईचारा बणाने मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं

Monday, February 22, 2016

जल रहा है हरियाणा

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देखो कैसी आग में जल रहा है हरियाणा 
ये किसके कदमों निशां पे चल रहा है हरियाणा

हक की नहीं लड़ाई ये गुंडई होने लगी
अपनों की लाश पे देखो मचल रहा है हरियाणा

जात पात के फेर में उलझ कर ही रह गए
भाईचारे के संस्कार से टळ रहा है हरियाणा

दुकान लूटो मकान फूंको कर लो पूरे सारे अरमान
शासन सरकार की छुट्टी पर चल रहा है हरियाणा

होश में आ जाओ मेरे साथी भटके नौजवान
दाल भले ही ना गले पर गळ रहा है हरियाणा

जगदीप सिंह

साथी

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