मुझे फिल्मे देखने का काफी शोक है अब मॉल में जाकर शोक पूरा करने की अपनी हैशियत है नहीं इसलिए कई बार विकल्प भी अपनाना पड़ता आज कल यशपाल की कहानियां पढ़ रहा हूँ सच बताऊ फिल्म की पूर्ति हो रही है कहानियों में घटनाएं पात्र सारे दृश्यमान होकर आप से रु ब रु होने लगते हैं जितना समय लगता है उसमें दो तीन कहानियां पढ़ ही लेता हूँ कमाल की कहानियां हैं रविन्द्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद,यशपाल और भीष्म साहनी अब पसंदीदा कहानीकार हो गए हैं यशपाल की कहानियों में एक विशेष बात यह लगती है की कहानी में वर्णन कथाकार नहीं बलिक पात्र करते हैं ऐसा बहुत ही कम साहित्यकार कर पते हैं समय लगा तो कहानियों की विस्तृत समीक्षा भी आपके समक्ष होगी फ़िलहाल इतना ही आप भी पढना चाहे तो आधार प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गयी मात्र ५० रूपये कीमत है
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