यंहा दश्त ही
दश्त है रास्ता नजर आया नहीं
पत्तों की चरमराहट से दिल घबराया नहीं
नयी घोषणा है इस
दश्त की तरक्की की
तूफान तो बाकी वो तो अभी आया नहीं
कोनसे जंगल से आ रही बहस की आवाजें
संसद कब से भंग है उसको तो चलाया नहीं
मेरी परेशानी का सबब जान के वो क्या करेंगे
चुनाव अभी दूर हैं बिगुल तो बजाय नहीं
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