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Friday, April 23, 2010

मनोज बबली को समर्पित

आदम ओ होव्वा की औलाद हैं जब
वंस ए पैदाईश के पैमाने क्या हैं 

बहते दरिया में मिली जोशे जुनू की लाश 
नाम ए इज्जत हालाक के मायने क्या हैं 

दोजख हुआ नसीब जो काफिरे इश्क को 

देखें हुजूम ए कौम के तराने क्या हैं

बस बे ख्याले इश्क ही लेते नहीं पनाह 
फिर लैला ओ मजनू हीर के फ़साने क्या हैं

मवाद बनने लगी है खाल के निचे 
जख्म ए ज़हन से मरहम छुपाने क्या हैं 

लहर ए समंदर को भला रोक पाया कौन
ये किस दौर की बात है आज ज़माने क्या हैं 

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