वे बढ़ा रहे हैं
भूख बेकारी शोषण
और हम हाथ पर हाथ धरे
बैठे हैं
अवसादग्रस्त
Wednesday, April 7, 2010
Sunday, March 14, 2010
इतने दिन में कँहा था
इन दिनों ब्लॉग पर कुछ लिख नहीं पाया लेकिन पढ़ा जरुर है उसी की चर्चा आप से कर लेता हूँ अभी दो नाटक और एक उपन्यास एक काव्य संग्रह पढ़ा है सभी की मिलीजुली बात करना चाहता हूँ उपन्यास पढ़ा गोर्की का मेरे विश्विद्यालय जिसमे मुझे ख़ास बात यह लगी जो की गोर्की के अन्य उपन्यासों में भी मिलाती है घटनाओं व्यक्तियों का विस्तृत वर्णन बाल की खाल तक निकाल डालते हैं और अपने विचार को लोगो को बहुत साधारण ढंग से उनकी प्रक्रति के विरोधी पत्रों से ही कहलवाते है अपने पुरे दृष्टिकोण को वे एक अद्रिस्ट धागे से दर्शा देते हैं वन्ही गरिष कर्नाड के नाटक हयवदन में मानवीय रिश्तों को बड़ी नाटकीयता से दर्शा रखा है दवियाशक्ति पर भी व्यंग्य इसमें देखने को मिलता है खासकर मनुष्य की दमित इछाऊ का प्रतीकात्मक नाटक है हालांकि पढने में नाटक कंही कंही बोझिल सा हो जाता है लेकिन नाटकीय दृष्टी से यह एक अछि रचना है और कलाकारों के लिए अपनी रचनात्मकता दिखाने का अच्छा मौक़ा भी नाटक देता है वन्ही शेक्शपिअर का जुलियस सीज़र जिसका हिंदी अनुवाद अरविन्द जी ने किया है काव्यात्मक नाटक है जिसके अनुवाद का काम सम्ब्वाथ काठीन काम है जो उन्होंने बखूबी किया है नाटक के सभी मुख्य पात्र सशक्त हैं लेकिन जिस प्रकार नाटक के बारे में सुरुआत में चर्चा की गयी की महाभारत की याद दिलाता है वगरह वगरह मुझे हज़म नहीं हुई हाँ इस नाटक की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है की कशियास ब्र्तुस आदि जनता का राज्य स्थापित करना चाहते हैं लेकिन वे सीज़र को मारकर भी ऐसा नहीं कर पाते अर्थात उनका रास्ता या उनका फैसला सही नहीं उतरता इसमें मूझे लेखक की कमजोरी भी दिखाएइ देती है लेखक स्वयं भी उलझाव की स्थिति में हैं उनके लगभग सभी नाटको का अंत दुखमय है एक एक कर नाटक का हर पात्र आत्महत्या कर लेता है नाटक का एक अन्य पात्र अन्तनी लगभग हीरो की तरह से नाटक को आगे बढाता है अन्यथा नाटक बीच में ही समाप्त लगता है शक्स्पिअर एक महान लेखक हैं लेकिन उनके इस नाटक की कोई दिशा ना होने की कमी बहुत खलती है अब आपको रोमंतिसिस्म में लिए चलता हूँ आलोक श्रीवास्तव का काव्य संग्रह वेरा उन सापनो की कथा कहो पढ़ा प्रेम के विषय पर अछि कवितायें हैं लेखक प्रकृति के बहुत करीब नज़र आते हैं उनकी कविताओं में ऋतुओं का वर्णन काफी है ख़ास तौर पर आज के दौर में जब की प्रेम के विरोध में भुत से पग्गड़ अपने तुर्रे ऊंचे किये हुए हैं खाफ की खाफ प्रेम करने वालों के खिलाफ है असी में कवी का खुलकर अपनी बात कहना मायने रखता है उनकी कविताओं ने प्रेम को बाज़ार के प्रभाव से बचाने की कोशिश की है हालांकि बहुत सी कविताओं में सब्दओं की जादूगरी सब्दों की पुनरावर्ती देखने को मिलती है कनेर के फूल अंजुली में पानी भरने की चाह बहुत सारे अन्य बिम्ब उनकी चाह को दर्शाते हैं उनके एकल प्रेम को दर्शाने वाली कवितायें भी बहुत हैं इस प्रकार कुल मिलाकर इतने दिन ब्लॉग पर उपस्थित ना होने की थोड़ी सी वजह यह है
Sunday, February 14, 2010
हरियाणवी सांग और नाटक

नाटक में अक्स्सर एक सूत्रधार होता है सांग में भी मुख्या संगी जिसे बेड़ेबंद कहते हैं सूत्रधार की भूमिका निभाता है संवाद भी दोनों विधाओं में बोले जाते हैं .बहुत से नाटकों में खासकर पहले के पारम्परिक नाटकों में मसखरा भी एक पात्र होता था सांग में यह भूमिका नकलची अदा करता है .
छायाचित्र : अमित 'मनोज' द्वारा
Friday, February 12, 2010
हरियाणवी संगीत की बात
हरियाणा और हरियाणा की संस्कृति उसमे भी हरियाणवी
संगीत की बात की जाये तो आज जन्हा भी देखो उसकी तूती बोल रही है वर्तमान फिल्मों में हरियाणवी पात्र हरयाणवी संवाद यंहा तक हरियाणवी धुनें भी खासी पर्योग में लायी जा रही हैं फिल्म ओये लक्की ओये में तू राजा की राजदुलारी काफी प्रशिद्ध हुई . फिल्म देव डी में भी ओ परदेशी गीत में हरियाणवी का आभाष होता है फिल्म दे दना दन में मैं तो मरी होती आज मरी होती लड्ग्या बैरी बिछुआ लोकगीत की धून पर एक गीत यू वान्ना किस में या मिस में असे करके एक
गीत है ये प्रयास तो हिंदी फिल्मो में हरयाणवी संगीत की
बढती लोक्पिर्यता को दर्शाते हैं हाल ही मैं सोनू निगम द्वारा फिल्म स्तरीकर में एक गीत चम् चम् गाया गया है जिसका
आलाप रा रा रा राआआआआ ऋ ऋ ऋ ऋ राआआआआ रप ताप रा रा रा हरयाणवी संगीत जो अक्सर हरयाणवी वाद्य वृन्द में बजाय जाता है से लिया गया लगता है आजकल फिल्मो में पात्रों की बात करें तो हाल ही में आ रही फिल्मो में कोई ना कोई पात्र हरयाणवी मिल ही जाता है ख़ास कर हाजिर जवाबी की जन्हा भी जरुरत होती है या हंसी मखोल की उसके लिए हरयाणवी पात्र की जरुरत होती है.
संगीत की बात की जाये तो आज जन्हा भी देखो उसकी तूती बोल रही है वर्तमान फिल्मों में हरियाणवी पात्र हरयाणवी संवाद यंहा तक हरियाणवी धुनें भी खासी पर्योग में लायी जा रही हैं फिल्म ओये लक्की ओये में तू राजा की राजदुलारी काफी प्रशिद्ध हुई . फिल्म देव डी में भी ओ परदेशी गीत में हरियाणवी का आभाष होता है फिल्म दे दना दन में मैं तो मरी होती आज मरी होती लड्ग्या बैरी बिछुआ लोकगीत की धून पर एक गीत यू वान्ना किस में या मिस में असे करके एक

बढती लोक्पिर्यता को दर्शाते हैं हाल ही मैं सोनू निगम द्वारा फिल्म स्तरीकर में एक गीत चम् चम् गाया गया है जिसका
आलाप रा रा रा राआआआआ ऋ ऋ ऋ ऋ राआआआआ रप ताप रा रा रा हरयाणवी संगीत जो अक्सर हरयाणवी वाद्य वृन्द में बजाय जाता है से लिया गया लगता है आजकल फिल्मो में पात्रों की बात करें तो हाल ही में आ रही फिल्मो में कोई ना कोई पात्र हरयाणवी मिल ही जाता है ख़ास कर हाजिर जवाबी की जन्हा भी जरुरत होती है या हंसी मखोल की उसके लिए हरयाणवी पात्र की जरुरत होती है.
Wednesday, February 10, 2010
kurukshetra vishvvidyalya sahitya manch lekhak se milie karyakaram
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Saturday, February 6, 2010
जुल्मतों के दौर में
कमजोरियां
तुम्हारी कोई नहीं थी
मेरी थी एक
मैं करता था प्यार .
बर्तोत्ल्ट ब्रेख्त की यह कविता मानवता को पसंद करने वालों को प्यार करने वालो को बहुत पसंद होगी एक तरफ जन्हा प्यार पर हर फिल्म हित सुपरहिट हो रही है प्यार करने वालो पर किस्से लोकनाट्य के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं वन्ही प्यार करने वालों को सरेआम क़त्ल कर दिया जाता है बाकायदा पुलिस कस्टडी में भी ह्त्या को अंजाम दिया जाता है फिर तथाकथित समाज सुधारक पगड़ बाँध कर कातिलों को सम्मानित करते हैं प्रेमियों कियो तो बात दूर हद पार वंहा हो जाती है जब ये अपने असंवैधानिक असंवेदनशील फैंसले लेती है पति पत्नी को भाई बहन बनाने के फरमान जारी कर दिए जाते हैं बस में ट्रेन में जन्हा भी देखो लोगों में इन पंचायतो की आलोचना सुय्नाने को मिलती है लेकिन कमजोर सरकारी तंत्र के चलते प्रभुत्ववादी इन पगाद्धारियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता है सामाजिक मसला कहकर सरकार भी अपनी जिम्मेवारी से बचती नज़र आती हैं आने वाली १० फरवरी को ब्रेख्त का जन्मदिन है जिन्होंने जुल्मतों के दौर में जुल्मतों के गीत गाने का आह्वान किया था अपना सारा जीवन अंधेरों से लड़ते हुए लगा दिया उन्हें सची सर्धांजलि यही होगी की हम सब भी मिलकर जुल्मतों के खिलाफ उठ कर लड़ने के लिए तैयार हो जाए अपने जैसो को ढूँढने की कोशिश कर रहे जो इस मुहीम में पहले से लगे हुए हैं उनका सहयोग करें .
तुम्हारी कोई नहीं थी
मेरी थी एक
मैं करता था प्यार .
बर्तोत्ल्ट ब्रेख्त की यह कविता मानवता को पसंद करने वालों को प्यार करने वालो को बहुत पसंद होगी एक तरफ जन्हा प्यार पर हर फिल्म हित सुपरहिट हो रही है प्यार करने वालो पर किस्से लोकनाट्य के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं वन्ही प्यार करने वालों को सरेआम क़त्ल कर दिया जाता है बाकायदा पुलिस कस्टडी में भी ह्त्या को अंजाम दिया जाता है फिर तथाकथित समाज सुधारक पगड़ बाँध कर कातिलों को सम्मानित करते हैं प्रेमियों कियो तो बात दूर हद पार वंहा हो जाती है जब ये अपने असंवैधानिक असंवेदनशील फैंसले लेती है पति पत्नी को भाई बहन बनाने के फरमान जारी कर दिए जाते हैं बस में ट्रेन में जन्हा भी देखो लोगों में इन पंचायतो की आलोचना सुय्नाने को मिलती है लेकिन कमजोर सरकारी तंत्र के चलते प्रभुत्ववादी इन पगाद्धारियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जाता है सामाजिक मसला कहकर सरकार भी अपनी जिम्मेवारी से बचती नज़र आती हैं आने वाली १० फरवरी को ब्रेख्त का जन्मदिन है जिन्होंने जुल्मतों के दौर में जुल्मतों के गीत गाने का आह्वान किया था अपना सारा जीवन अंधेरों से लड़ते हुए लगा दिया उन्हें सची सर्धांजलि यही होगी की हम सब भी मिलकर जुल्मतों के खिलाफ उठ कर लड़ने के लिए तैयार हो जाए अपने जैसो को ढूँढने की कोशिश कर रहे जो इस मुहीम में पहले से लगे हुए हैं उनका सहयोग करें .
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