ले कै नै आरक्षण भाईयो कुणसे झंडे गाड़ दिये
सदियां तै जो बसैं ते सुख तै सबके ढूंड उजाड़ दिये
और कसर के रहगी इब तो छोडो खूंड बजाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
के कसूर था उस विधवा का वा ढाबा अपणा चला री थी
दो छोरी सैं उस पै जिनके ब्याह के सपने सजा री थी
ढाबा उसका फूंक दिया इब ओटै कौण उलाहणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
बड़ी मेहनत तै बड़ी मुश्किल तै कारोबार जम्या करै
खड़ी फसल नै कोए फूक ज्या सोचो ज्यब के बण्या करै
इन सदमां तै जो भी मरैगा, पाप चढ़ै स्यर थारे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
कितणे खेड़े नगर चैन के आज धूआंधार पड़े सैं
माणस कै स्यामी माणस आज जाति नै ठांए खड़े सैं
जात पात मैं बटज्या ज्यब माणस के कसर रह मरज्याणे मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
कल्ले थाम बी दोषी कोनी सरकार भी खड़ी लखावै थी
खट्टर पट्टर की ट्विटर तै अपील शांति की आवै थी
खड़ी-खड़ी देखै थी सेना यें सूने पड़े थे थाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
हजारों करोड़ की संपत्ती कै थमनै आग लगाई
थारी जिद्द मैं सूनी गोद नै देख कै रोवैं माई
नेताओं का के बिगड़ग्या ये न्यूं ए बरड़ाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
महाभारत पाच्छै पांडवां ज्यूं थामै गूठे दे दे रोओगे
थारै लोवै धोरै कोए फटकै नी फेर कितकी नौकरी टोहोगे
जो कंपनी फैक्टरी खड़ी करैं वैं इब पक्के घबराणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
जगदीप सिंह कह रैथल आला ब्होत दुखी सूं भाई
माणस की बस दो ए जाति आदमी और लुगाई
माणस बणज्यो के लागै थारा भाईचारा बणाने मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
3 comments:
आदरणीय जगदीप जी
हरियाणा की तबाही के मंजर को शब्दों में पिरोने की कला से बनी इस रचना को हम तक पहुचाने के लिए बहूत बहूत धन्यवाद|
आपकी इस कला को सलाम
जय भारत जय जवान
इस प्रशंशनीय शुरुआत में मेरी कहीं भी जरुरत पड़े तो याद करलेना सर, बहुत बहुत शुभकामनायें...
आप दोनों साथियों का शुक्रिया प्रतिक्रिया के लिए
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