एक नई शुरुआत
कुछ ना लिखने से कुछ लिखना बेहतर है... हर पल एक नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है...
Friday, May 13, 2016
Thursday, May 5, 2016
आओ साथ चलें
चल अपनी आरामगाह से बाहर
निकल आ
कि देख के साथ तुझको बढ़े
उसका हौसला
अगर किसी की हूक तूझे करती
है बेचैन
फिर एक से दो चार सौ होने
में है भला
छला गया है वो भी तुझ सा
परेशान है
कदम बढ़ा कि निकले शोषितों का
काफला
उनकी क्या रीस किजे वे हैं
रईस लोग
ऊंगलियों को कर मुट्ठी फिर
हो मुकाबला
उनके बही खाते में खराब तेरा
है हिसाब
तू भी अपने थैले में कुछ
कलम किताब ला
Tuesday, April 12, 2016
ओ भगवान
ओ भगवान
एक बार नजर तो आओ
तुम्हारा कॉलर पकड़ कर
घसीटने को मन करता है
जरा अपने डेटाबेस से
निकालों तो
उनके पूर्वजन्मों का चिट्ठा
जिन्हें लील दिया तुमने एक
पुल को ढहाकर
हो सकता भक्तों के सीने पर
चढकर
बन रहे पुल से नाराजगी हो
तुम्हारी
लेकिन तुम्हारी कृपा के बोझ
तले
मजदूर ही क्यों दबे
क्यों नहीं कंपनी के दफ्तर
को ढहा दिया
कैसी नींद में सोये हो
प्रभु
आतिशबाजी से फटे बम
और बम से उड़े लोगों के
चिथड़े
धमाकों से तेज होती चीख भी
तुम्हारी नींद नहीं खोल
पायी
कैसा न्याय है तुम्हारा
मरने वालों में ये करने वाला
तो नहीं था
वह तो अब भी तुम्हारे नाम
पर
इस हत्याकर्म को तुम्हारे
नाम की दुहाई देकर
जारी रखने की कहता है
क्या तुम्हें भी इन
बिचोलिये दलालों की जरुरत होती है
जैसे दलाल जरुरी होते हैं हर
तरह के पेशों में
दलाल लेनेवाले और देनेवाले
से दोनों हाथों लूटता है
क्या तुम सच में हो भगवान
हो तो कोई आहट क्यों नहीं
है
जरा दिखाओ तो उनके
पूर्वजन्मों का चिट्ठा मुझे
किन पापों की वजह से प्यास
से मर रहे हैं लोग
क्यों तुम्हारे कोप से
पानी को कैद करती बोतलें
पिघलती नहीं
हे भगवान जरा दिखाओ तो
चित्रगुप्त का वो बही खाता
जिसमें रखा है हिसाब तुमने
जिंदगी से घबराकर तुम्हारे
पास आये किसानों का
हे भगवान
दिखाओ तो अपना भी हिसाब-किताब
कभी
जब तुम्हारी मर्जी से पत्ता
नहीं हिलता
कैसे कर लेता है कोई पाप या
पुण्य ही
भगवान सच कहूं तो मुझे
तुम लाचार नजर आते हो
क्योंकि देखता हूं मैं
तुम्हें
मंत्रोच्चारण के बीच पत्थर
की मूर्त बनते हुए
कितने नरसंहार अत्याचार
तुम्हारे सामने या तुम्हारी
पीठ पिछे होते देखे हैं मैने
तुम्हारी गाज हमेशा गिरती
है उसी पर
जो हाथ जोड़ खड़ा होता है
तुम्हारे नाम से बने
पत्थरों के सामने
श्रद्धा, विश्वास आस्था
रखने वाले की ही
अब तक परीक्षा लेते देखा है
तुमको
देखा है तुम्हारी पत्नी को
भी
अमीरों की तिजोरी में ही
कैद हुए
मैं नहीं कहता के तुम नहीं
हो
तुम हो लेकिन
जैसे होते थे राजा
जिनके कान में फूंक दिया
गया था
कि वे ईश्वर के भेजे दूत
हैं
ईश्वर ने उन्हें लोगों पर
राज करने भेजा है
उनके लहू का रंग भी होता है
नीला
तुम्हारी शक्ति से ही वो
बनते थे
अन्यायी, क्रूर, और तमाशबीन
आज भी वही कथा दोहरा रहे हो
ओ भगवान
एक बार नजर तो आओ
या फिर बीच से हट जाओ
फिर जिसका कॉलर पकड़ कर
घसीटेंगें
उस दर्द का अहसास तुम्हें
भी होगा
Saturday, March 5, 2016
कन्हैया
एक लाल झंडे का लाल है
बटा बड़ा बेमिसाल है
बातां के लावै फोवे से
कन्हैया नहीं कमाल है
बात करै आजादी की
अर शोषण की बर्बादी की
देशद्रोही इसनै कह रे
यू देश भक्ति की मिसाल है
गरीबां के हक की बात करै
पूंजी आल्या के गळ पै हाथ धरै
ल्याणा चाहवै समाजवाद नै
इब संघियां का बुरा हाल है
सारी बात का जवाब सै इसपै
इब मोदी बुझै बता किसपै
क्यूकरे भी ना आया काबू
इब टोको किसकी मजाल है
Tuesday, February 23, 2016
आग लगी हरियाणे मैं
ले कै नै आरक्षण भाईयो कुणसे झंडे गाड़ दिये
सदियां तै जो बसैं ते सुख तै सबके ढूंड उजाड़ दिये
और कसर के रहगी इब तो छोडो खूंड बजाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
के कसूर था उस विधवा का वा ढाबा अपणा चला री थी
दो छोरी सैं उस पै जिनके ब्याह के सपने सजा री थी
ढाबा उसका फूंक दिया इब ओटै कौण उलाहणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
बड़ी मेहनत तै बड़ी मुश्किल तै कारोबार जम्या करै
खड़ी फसल नै कोए फूक ज्या सोचो ज्यब के बण्या करै
इन सदमां तै जो भी मरैगा, पाप चढ़ै स्यर थारे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
कितणे खेड़े नगर चैन के आज धूआंधार पड़े सैं
माणस कै स्यामी माणस आज जाति नै ठांए खड़े सैं
जात पात मैं बटज्या ज्यब माणस के कसर रह मरज्याणे मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
कल्ले थाम बी दोषी कोनी सरकार भी खड़ी लखावै थी
खट्टर पट्टर की ट्विटर तै अपील शांति की आवै थी
खड़ी-खड़ी देखै थी सेना यें सूने पड़े थे थाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
हजारों करोड़ की संपत्ती कै थमनै आग लगाई
थारी जिद्द मैं सूनी गोद नै देख कै रोवैं माई
नेताओं का के बिगड़ग्या ये न्यूं ए बरड़ाणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
महाभारत पाच्छै पांडवां ज्यूं थामै गूठे दे दे रोओगे
थारै लोवै धोरै कोए फटकै नी फेर कितकी नौकरी टोहोगे
जो कंपनी फैक्टरी खड़ी करैं वैं इब पक्के घबराणे रै
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
जगदीप सिंह कह रैथल आला ब्होत दुखी सूं भाई
माणस की बस दो ए जाति आदमी और लुगाई
माणस बणज्यो के लागै थारा भाईचारा बणाने मैं
किसा आरक्षण मांग्या थामनै आग लगी हरियाणे मैं
Monday, February 22, 2016
जल रहा है हरियाणा
http://www.hamarivani.com/update_my_blog.php?blg=http://geet7553.blogspot.com/
देखो कैसी आग में जल रहा है हरियाणा
ये किसके कदमों निशां पे चल रहा है हरियाणा
हक की नहीं लड़ाई ये गुंडई होने लगी
अपनों की लाश पे देखो मचल रहा है हरियाणा
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Saturday, February 28, 2015
कामरेड अविजित
अविजित रॉय के लिए.....
जो बांग्लादेश में कट्टरपंथियों का शिकार हुए...
कामरेड अविजित
आज से पहले मैं तुम्हारे
बारे में नहीं जानता था
तुम्हारी पत्नी के हाथों
में सिमटा
खून से सना तुम्हारा शरीर
देखकर
ऐसा लग रहा है
बांग्लादेश की धरती को
सींचेगा
ये खून
खुरदरी और बंजर होती जमीन
करेगा तैयार
पैदा होंगे इसी खून से
लाल लाल लहराते झंडे
तुम्हारे शरीर के हर
टुकड़े से पैदा होगा एक नारा
तुम पर किये हर वार के
खिलाफ
खड़ा होगा आंदोलन
सच तो ये है कि
वे तुम्हारी हत्या नहीं कर
पाएंगे
हर हमले के साथ तुम
जी उठोगे और
हमेशा बने रहोगे अविजित
----------- जगदीप सिंह
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