ब्लॉगवार्ता

www.blogvarta.com

Tuesday, December 15, 2009

आदमी आदमी से मिलता है


आदमी आदमी से मिलता है , जाने कौन क्या निकलता है .


माथे की सिलवट पढ़ भी ले 
नयनों की भाषा समझ भी ले 
जो बात हों चहरे वाली
उसका भला कोई क्या करले 
जो गिरगिट से रंग बदलता है


भाव की कीमत जाने कौन 
अपना पराया माने कौन
कहते हैं दिल तो पागल है 
फिर दिल की बातें जाने कौन 
जिसे भी देखो हाथ में बस खंज़र ही निकलता है


करे अपमान इंसानओं का 
शिसे सा दिल दीवानों काअ 
क्षणिक मन की चाह यही 
हो खून किसी के अरमानों का
हमदर्द ही जब यंहा जख्मों को कुरेद मचलता है

1 comment:

Manav Pardeep said...

yaar tu in kvitao k kviyon k naam bhi likh diya kr.kya ye kvita tumne likhi hai.achi kvita hai.

साथी

मेरे बारे में